फूल बना हथियार
यह उपन्यास जासूसी तो है ही पर बहुत ही इंटरेस्टिंग है। बड़े-बड़े मुखोटे लगाकर बिजनेसमैन क्या-क्या बदमाशियां करते हैं वही नहीं बड़े-बड़े डॉक्टर से भी कई बार इसमें शामिल होते हैं। पैसे के लिए वे कुछ भी कर सकते हैं। उनका मेन मकसद रुपया ही होता है। उन्हें अपनी फैमिली या किसी और की चिंता नहीं सिर्फ रुपए कमाना वह भी किसी ढंग से चाहे जायज हो या नाजायज उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। हम जो बातें सोच नहीं सकते वह यह सब कर लेते हैं। पढ़कर देखेगा।
मूल लेखक राजेश कुमार
राजेश कुमार
इस उपन्यास के मूल तमिल लेखक राजेश कुमार है। आपने 50 वर्षों में डेढ़ हजार उपन्यास लिखे और 2000 कहानियां लिखी। आपकी उपन्यास और कहानियों के पाठकों की संख्या बहुत ज्यादा है। अभी आपका नाम गिनीज बुक के लिए गया हुआ है। चाहे आपके उपन्यासों हो या कहानियां दोनों ही एक बार शुरू कर दो खत्म किए बिना रखने की इच्छा नहीं होती उसमें एक उत्सुकता बनी रहती है कि आगे क्या होगा |
तमिलनाडु में इनकी कहानियों और उपन्यासों की बहुत ज्यादा मांग है |
इसीलिए मैंने भी इनकी कहानियों का और उपन्यास का अनुवाद करती हूं।
एस. भाग्यम शर्मा
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फूल बना हथियार
अध्याय 1
यामिनी अपने सुंदर दोनों भौंहों को कुछ मिलीमीटर के बराबर ऊपर किया और डॉक्टर उमैयाल को देखी। उसके आवाज में बहुत ही आश्चर्य था।
"डॉक्टर ! आप कह रहे हो वह हो सकता है?"
"हो सकता है!"
"विश्वास नहीं हो रहा है!"
डॉक्टर उमैयाल 50 साल की थी, अपने चेहरे पर एक मुस्कान लिए हुए उसने बात करना शुरू किया ।
"वैज्ञानिक और डॉक्टर्स कंपटीशन करके सब कुछ करना साध्य कर रहें है। 2014 से ही इसे साध्य बनाया। रोजाना कुछ ना कुछ शोध होता ही रहता है। इसमें एक शोध दूसरे शोध को गलत साबित करने का भी आश्चर्य हो रहे हैं।"
"फिर भी एक लड़की की अब बिना दर्द के डिलीवरी हो सकती है, इस बात को हजम करना बहुत मुश्किल लग रहा है डॉक्टर।"
उमैयाल हंसी। यह हजम नहीं करने वाली बात मुझमें भी थी। यह संभव ही नहीं है कहके मैंने एक सीनियर डॉक्टर से लड़ाई भी की थी । वह कैसे संभव है उन्होंने मुझे समझाया उसके बाद मैं पूरे एक दिन आश्चर्य चकित रही!"
"अब आप बोलो डॉक्टर यह कैसे संभव है?"
"यह बिना दर्द के प्रसव का नाम यह एपीड्यूरल डिलीवरी कहलाती है। अमेरिका, जर्मनी आदि देशों में यह बहुत प्रसिद्ध है। एक लड़की के प्रसव के लक्षण दिखते हैं उसके पीठ के रीढ़ की हड्डी के बीच में 'एपीड्यूरल' नाम के एक छोटे से मेडिकल डिवाइस को फिक्स कर देते हैं । उसके बाद डिवाइस के चारों तरफ एंटीसेप्टिक फ्लोएड स्प्रे कर देते हैं और पेट के बल लेटा देते हैं।
एपीड्यूरल डिवाइस को फिक्स करने के बाद उठ कर चल फिर नहीं सकते। पैरों के वजन का भी पता नहीं चलता ऐसा सुन्न हो जाता है। प्रसव का समय नजदीक आते ही एपीड्यूरल डिवाइस काम करना शुरू कर देता है। हर एक बात गर्भाशय के फैलते सिकुड़ते, बच्चे के बाहर आते समय दर्द का बिल्कुल भी मालूम नहीं पड़ता । अभी थोड़ी ही देर में एपीड्यूरल डिवाइस अपने काम को बंद कर देगा और प्रसूता लड़की का शरीर सामान्य दिखाई देगा। बच्चा और प्रसूता दोनों सुरक्षित।
"फैंटास्टिक डॉक्टर! यह है एपिड्यूरल डिलीवरी हमारे इंडिया में कब आएगा?"
"बस आ ही रहा है...!" उमैयाल कहकर हंस रही थी उसी समय यामिनी के हैंड बैग में जो मोबाइल था वह बजे उठा। उठाकर देखा कौन हैं।
एडिटर पर्वत वर्धनी।
उमैयाल को देख कर बोली "एक्सक्यूज मी डॉक्टर। लाइन पर मैं जहां काम कर रही हूं उस पत्रिका के एडिटर बोल रही हैं!"
"क्यों यामिनी डॉक्टर उमैयाल से साक्षात्कार हो गया..?"
"करीब-करीब हो गया मैडम। बस दो ही प्रश्न बाकी हैं।
"मुझे शाम को 5:00 बजे के अंदर मैटर चाहिए।"
"दे दूंगी मैडम।"
"पिछली बार जैसे लेट मत हो जाना।"
"इस बार देर नहीं होगी मैडम.."
"यामिनी...!"
"मैं भी देख रही हूं। तुम एक महीने से ठीक नहीं हो। तुम्हें क्या परेशानी है?"
"कोई भी परेशानी नहीं है मैडम।"
"अपना 'नीलकमल' पत्रिका महिलाओं के है। दूसरी पत्रिकाओं से ज्यादा इसकी बिक्री होती है। बिक्री में इसका पहला स्थान है। इस प्रथम स्थान को हमें बनाए रखना है तो सब कुछ समय पर होना चाहिए।"
"समझ में आ रहा है मैडम...!"
"5:00 बजे मुझे मैटर के साथ आकर मिलो..." दूसरी तरफ से पर्वत वर्धनी ने अपने फोन को स्विच ऑफ कर दिया तो यामिनी ने भी मोबाइल को बंद करके अपने पर्स में रख लिया।
"तुम सुंदर हो। तुम्हारा नाम भी सुंदर है। तुम्हारा मूल स्थान कहां का है क्या मैं जान सकती हूं?"
"श्रीरंगम।"
"वह भी बहुत बढ़िया जगह....! उस जगह को छोड़कर इस चेन्नई में क्यों आई हो तुम?"
"मेरी कॉलेज के दिनों से ही पत्रिका व्यवसाय में ही काम करने की इच्छा थी। इसीलिए जर्नलिज्म खत्म करते ही नीलकमल पत्रिका में रिपोर्टर ज्वाइन कर लिया!"
"तुम्हारी फैमिली में कुल कितने लोग हैं?"
"अप्पा जिंदा नहीं है... मैं और मेरी अम्मा, मुझसे छोटी दो बहने। दोनों कॉलेज में पढ़ रही हैं। एक बी.ए में दूसरी बीकॉम में।"
"तुम दूसरी नौकरी के लिए कोशिश क्यों नहीं करती? तुम्हारे जैसे सुंदर पढ़ी-लिखी लड़की को अच्छी सैलरी में नौकरी मिल जाएगी?"
"अच्छी सैलरी मिलेगी डॉक्टर परंतु इस पत्रिका के व्यवसाय में मुझे जो संतुष्टि मिलती है वह और कहीं नही मिलेगी |" कहकर यामिनी हंसकर धीमी आवाज में बोली "डॉक्टर मैं आपका साक्षात्कार लेने आई परंतु अभी स्थिति बदल ऊपर-नीचे हो गया। आप मेरा साक्षात्कार ले रही है।"
"यह साक्षात्कार नहीं है। यह एक उत्सुकता है। कुछ लोगों को देखते ही उसे पसंद करने लगते हैं। उनसे कुछ ना कुछ बात करते रहें ऐसा लगता है।"
"इसका मतलब.... आपके पसंद करने वाले लिस्ट में मैं भी हूं डॉक्टर?"
"क्यों नहीं बिल्कुल हो....! मेरी भी तुम्हारी उम्र की एक लड़की है। उसका नाम श्रुति है। दो साल पहले ही उसकी शादी हुई। दामाद अमेरिका में मिनी कार्डियक सेंटर में डॉक्टर हैं । वह एक ग्रीन कार्ड होल्डर है। बेटी भी वही सेटल हो गई। मेरे फ्रेंड न्यूयॉर्क में पियो रिसर्च इंस्टीट्यूट में एच.ओ.डी. हैं। दो दिनों में एक बार स्काइप पर बात करते हैं।"
बाहर से देखने वालों को मेरी जिंदगी एक खुशहाल जिंदगी दिखाई देती है। परंतु मेरे अंदर जो समुद्र जैसे तूफान निशब्द है। तुम्हारे जैसे लड़कियां जब समाज के समस्याओं के बारे में सोचती हैं तो मेरे मन रूपी पिंजड़े में कैद खुशी रूपी कबूतर बाहर आकर उड़ने लगता है।" डॉक्टर के बोलते समय कुछ क्षण बिना पलक झपकाए देखती रही।
"ऐसे क्या देख रही हो?"
"मेरे दुख से आपका दुख ज्यादा कॉस्टली है डॉक्टर!"
"इट्स ओके यामिनी! अब तुम अपने इंटरव्यू हो जारी रखो।"
यामिनी अगले प्रश्न पूछने के लिए मुंह खोला ही था कि कामवाली लड़की दरवाजे के पास खड़ी थी। उमैयाल उसकी तरफ मुड़ी।
"वह अक्षय भैया आपको देखने आए हैं।"
"ठीक है ऊपर आने को बोलो।"
"सॉरी... यामिनी! एक पाँच मिनट का ब्रेक लेते हैं। जो लड़का आ रहा है.... मेरा काफी नजदीक है। मेरे हस्बैंड और अक्षय के पापा बाल सखा हैं। अक्षय बिना कारण के नहीं आया होगा। आज मुझे देखने आया है। उससे बात करके भेज देती हूं।"
"नो प्रॉब्लम डॉक्टर.... आप चाहे तो मैं बाहर जाकर वेट करती हूं..." यामिनी उठने लगी।
"नो... नो.. तुम्हें बाहर जाने की जरूरत नहीं। यही रह सकती हो। अक्षय की मम्मी की तबीयत थोड़ी ठीक नहीं है। उसके बारे में ही कुछ पूछने आया होगा। तुम बैठो यामिनी।"
यामिनी फिर से कुर्सी में पीठ को लगाकर बैठी तो एक सुंदर स्मार्ट नवयुवक कमरे के अंदर आया। चंदन के रंग का शर्ट और काले रंग का पेंट पहना हुआ उसके गोरे रंग को जो और भी प्रकाशित कर रहा था। उसके घने बाल बिखरे हुए भी सुंदर लग रहे थे।
"हाय आंटी जी !"
"आओ... अक्षय... बैठो !"
"तुम्हारी अम्मा गोलियों को ठीक से ले रही है ना?"
"हां ले रही है आंटी।"
"वह तुम्हें कैसे पता...?" तुम भी ठीक, तुम्हारे अप्पा भी ठीक, सुबह 8:00 बजे कंपनी के लिए निकल जाते हो। करोड़ों रुपए मिलने वाले बिजनेस में आज कितना लाभ हुआ उसको क्राइप करके देखकर रात को 10:00 बजे के बाद घर वापस आते हो। तुम और तुम्हारे अप्पा पाँच मिनट के लिए उस बीमार प्राणी से तुम कैसी हो पूछकर सोने चले जाते हो।"
"तुम्हारी अम्मा को टेबलेट लेते हुए तुमने एक दिन भी कभी देखा है?"
"वह... आंटी...."
"तुम्हें कुछ एक्सक्यूज देने की जरूरत नहीं! तुम भी ठीक तुम्हारे अप्पा भी ठीक दोनों को बिजनेस टारगेट ही जरूरी है इसके अलावा तुम्हारी अम्मा की बीमारी के बारे में कोई चिंता नहीं।"
"ऐसा मत बोलिए आंटी ! मैं और मेरे अप्पा, अम्मा को अच्छी तरह से ही देखते हैं। बीस हजार रुपयों में एक नर्स घर पर ही रखा है.."
"घर में नर्स को रख दो तो तुम्हारा कर्तव्य पूरा हो गया?"
"फिर क्या करने को कह रहे हो आप आंटी?"
"शादी कर लो ? तुम्हारी जो पत्नी होगी कम से कम वह तो तुम्हारी अम्मा की देखभाल करेगी?"
"वह एक अच्छा काम भी होने वाला है आंटी।'
"क्या ! बोल रहा है रे?"
"घर पर मेरे लिए एक लड़की देख लिया है आंटी..." उमैयाल आंखें फाड़ कर देखने लगी। रियली... लड़की कौन है?"
"जयपुर में उनकी बड़ी फैमिली है... लड़की की फोटो आपको दिखाने के लिए ही इस भरी दुपहरी में धूप की परवाह न करके लेकर आया हूं।"
"पहले फोटो को निकाल !"
अक्षय अपनी शर्ट के जेब में संभाल के रखे हुए उस पासपोर्ट साइज के फोटो को निकाल कर उमैयाल के हाथों में दिया। उन्होंने अक्षय को देखकर व्यंग्य से आंखें झपकाईं।
"क्या है अक्षय...! लड़की तो तुमसे ज्यादा खूबसूरत होगी ऐसा लग रहा है?"
"आंटी ! इस व्यंग्य की जरूरत नहीं?"
"यह व्यंग्य नहीं। सचमुच में कह रही हूं। तुमसे थोडी ज्यादा सुंदर है। तुमसे बीस है।!"
"ठीक है! आप जो कह रहे हो वह ठीक है कि नहीं मालूम करने के लिए थर्ड एंपायर को अपील करें?"
"थर्ड एंपयर...! वह कौन है...?"
"यह ! थोड़ी देर पहले आपने मेरा परिचय कराया वही थर्ड एंपायर।"
"इट्स ओके ? फोटो यामिनी को दो ! मैंने जो कहा वह ठीक है कि नहीं उसे देखकर बोलने दो!"
"मिस यामिनी! लीजिए फोटो...." अक्षय के दिए हुए फोटो को संकोच के साथ ले कर देखी -
फोटो में- यामिनी का मुस्कुराता हुआ चेहरा।